भारत की चार दिशाओं में चार वेदों के आधार पर चार आम्नाय पीठों की स्थापना कर देश की धार्मिक व सांस्कृतिक सीमा को सुदृढ बनाया। इन्हीं चार पीठों में से अन्यतम उत्तराम्नाय ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम हिमालय के वर्तमान जगद्गुरु शंकराचार्य परमाराध्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती'१००८' आज सनातन संजीवनी के रूप में हम सबको प्राप्त हैं।
'परमाराध्य' स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती'१००८' यह एक ऐसा नाम है जिनका जीवन एक आदर्श के रूप में पूरे विश्व के सामने है। जिस प्रकार सूर्य को छिपाकर नहीं रखा जा सकता, वह जहाँ रहता है स्वयं प्रकाशित होकर पूरे विश्व को प्रकाशित करता है, ऐसे ही 'परमाराध्य' स्वयं तो आत्मज्ञान के आनन्द से परिपूर्ण हैं ही पर जो भी इनके सम्पर्क में आ जाता है वह भी आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होकर आनन्दित हो जाता है।
शिक्षा : ब्राह्मणपुर के स्थानीय विद्यालय में प्रारम्भिक शिक्षा हुई। बाल्यकाल से ही उमाशंकर की कुशाग्र बुद्धि एवं प्रत्युत्पन्नमति से सभी चमत्कृत थे। तीसरी कक्षा में ही अध्यापकगण इनको अपनी कुर्सी पर बिठाकर पढाते थे। छठवीं कक्षा तक की शिक्षा स्थानीय विद्यालय में हुई। इसके बाद की शिक्षा गुजरात के बडौदा स्थित महाराजा सयाजी राव यूनिवर्सिटी में हुई।
छत्तीसगढ़ के बेमेतरा में एशिया का सबसे बड़ा शिव मंदिर स्थापित किया जा रहा है। सलधा में निर्मित होने वाले शिव मंदिर की लागत 65 करोड़ रुपए है। मंदिर में आये भक्तों को एक साथ सवा लाख शिवलिंग के दर्शन होंगे। एक शिवलिंग में दूध और जल चढ़ाने से सवा लाख शिवलिंग में जल और दूध चढ़ाने का सौभाग्य प्राप्त होगा। इसी तरह एक परिक्रमा करने से सवा लाख शिवलिंग की परिक्रमा का पुण्य प्राप्त होगा।
शिवलिंग का नाम उसी व्यक्ति के नाम पर प्रतिष्ठित किया जाएगा, जिन्होंने सहयोग राशि प्रदान की है। जैसे राम के नाम से रामेश्वर है वैसे ही अंशदान देने वाले के नाम से महादेव की स्थापना की जाएगी।
दंडी स्वामी के मार्गदर्शन में भव्य मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। मंदिर में सवा लाख शिवलिंग की स्थापना की जाएगी। 34 हजार वर्गफीट में मंदिर बनाया जा रहा है। मंदिर परिसर में विशाल जलकुंड के अलावा बगीचा भी बनाया जायेगा एवं सौर ऊर्जा से बिजली की व्यवस्था की जाएगी। पांच हजार लोग एक साथ मंदिर परिसर में खड़े हो सकेंगे। मंदिर में 8 कक्ष का निर्माण होगा जिसमें संचालन समिति भंडारा व पाठशाला की व्यवस्था कर सकती है। मंदिर का मुख्य शिखर 75 फीट का होगा।